Monday, June 23, 2014

जानें ये आसान उपाय




  1. - पारिवारिक अशांति व तनाव दूर करने के लिए गाय के दूध से शिव अभिषेक बहुत ही मंगलकारी है।
  2. - काम, आजीविका, नौकरी में तरक्की या अच्छे रोजगार की कामना है तो शिवलिंग का शहद की धारा से अभिषेक करें।
  3. - लंबी या लाइलाज बीमारी सेतंग हैं तो पंचमुखी शिवलिंग पर तीर्थ का जल अर्पित करने से रोगमुक्त होंगे।
  4. - सोमवार को शिवलिंग में आंकड़े का फूल या धतूरा चढ़ाने से पारिवारिक, कार्यक्षेत्र या अदालती विवादों से छुटकारा या मनचाहे नतीजे मिलते हैं।
  5. - मान्यताओं में शिव को भांग प्रेमी भी माना जाता है। दूध में भांग मिलाकर मानसिक परेशानियों से मुक्ति पाएं।
  6. - सोमवार कालसर्प दोष शांति के लिए बहुत शुभ है। इसलिए इसके लिए जिम्मेदार राहु ग्रह के 18000 मंत्र जप किसी विद्वान ब्राह्मण से जानकर अवश्य करें।
  7. - इन सब उपायों में से कोई भी न कर सके तो कम से कम सोमवार शिव को पावन जल और बिल्वपत्र ही अर्पित कर दें। इससे जीवन में हो रही हर उथल-पुथल थम जाएगी।
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दुर्गा सप्तशती में उल्लेखित है कि मंगलवार की अमावस्या पर रात 12 बजे जो भक्त मां काली के किसी भी रूप की सात्विक यानि सामान्य पूजा करता है उसे माता धन- धान्य, सुख-संपत्ति से पूर्ण कर देती हैं। उस
भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और वे मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करते हैं। मंगलवार की अमावस्या की रात को मां बहुत जल्द भक्तों से प्रसन्न हो जाती हैं। अत: इस रात्रि मां से कृपा प्राप्ति का सुनहरा अवसर है। मां काली की सामान्य सी पूजा से आपके घर की आर्थिक तंगी समाप्त होने लगेंगी और
आपको धन लाभ होने लगेगा। ध्यान रखें नवरात्रि के दिनों में व्रत-पूजा आदि के संबंध में कई नियम बताए गए हैं अत: इन सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य है। नियमित रूप से मां दुर्गा की आराधना करें और अपना आचरण पूरी तरह पवित्र बनाए रखें।

Monday, June 16, 2014

महिलाएं नारियल नहीं फोड़तीं।


ये प्राचीन बातें जानेंगे तो आप भी मानेंगे ये है चमत्कारी !!

हम सभी जानते हैं पूजन कर्म में नारियल का महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी देवी-देवता की पूजा नारियल के बिना अधूरी ही मानी जाती है। क्या आप जानते हैं नारियल खाने से शारीरिक दुर्बलता एवं भगवान को नारियल चढ़ाने से धन संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
स्त्रियां नहीं फोड़तीं नारियल !!
यह भी एक तथ्य है कि महिलाएं नारियल नहीं फोड़तीं। नारियल बीज रूप है,इसलिए इसे उत्पादन(प्रजनन) क्षमता से जोड़ा गया है। स्त्रियाँ बीज रूप से ही शिशु को जन्म देती है और इसलिए नारी के लिए बीज रूपी नारियल को फोड़ना अशुभ माना गया है देवी-देवताओं को श्रीफल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं। नारियल से निकले जल से भगवान की प्रतिमाओं का अभिषेक भी किया जाता है। 
सौभाग्य का प्रतीक है नारियल !!
नारियल को श्रीफल भी कहा जाताहै। ऐसा माना जाता है,जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया तो वे अपने साथ तीन चीजें- लक्ष्मी,नारियल का वृक्ष तथा कामधेनु लाए। इसलिए नारियल के वृक्ष को कल्प
वृक्ष भी कहते है। नारियल में ब्रह्मा,विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं का वास माना गया है। श्रीफल भगवान शिव का परम प्रिय फल है। नारियल में बनी तीन आंखों को त्रिनेत्र के रूप में देखा जाता है।
कैलोरी से भरपूर है नारियल !!

१-नारियल की तासीर ठंडी होती है।
२- ताजा नारियल कैलोरी से भरपूरहोता है। 
३- इसमें अनेक पोषक तत्व होते हैं।
४-नारियल के कोमल तनों से जो रस निकलता है उसे माड़ी (नीरा) कहते हैं उसे लज्जतदार पेय माना जाता है।
५- सोते समय नारियल पानी पीने से नाड़ी संस्थान को बल मिलता है तथा नींद अच्छी आती है।
६- जिन शिशुओं को दूध नहीं पचता उन्हें दूध के साथ नारियल पानी मिलाकर पिलाना चाहिए।
७- शिशु को डि-हाइड्रेशन होने पर नारियल पानी में नीबू का रस मिलाकर पिलाएं।
८-नरियल का पानी हैजे में रामबाण औषधि है।
९- नारियल की गिरी (खोपरा) खाने से कामशक्ति बढ़ती है।
१०- मिश्री के साथ खाने से गर्भवती स्त्री की शारीरिक दुर्बलता दूर होती है तथा बच्चा सुंदर होता है।
११- सूखी गिरी खाने से आंख की रोशनी तथा गुर्दों के शक्ति मिलती है।
१२- पौष,माघ और फाल्गुन माह में नियमित सुबह गिरी के साथ  गुड़ खाने से वक्षस्थल में वृद्धि होती है, शारीरिक दुर्बलता दूर होती है।
१३- इसके पानी में पोटेशियम और क्लोरीन होता है जो मां के दूध के समान होता है।
१४- नारियल कठिनता से पचनेवाला,वातशोधक,विष्टम्भी,पुष्टि कारक,बलवर्धक और वात-पित्त वरक्तविकार नाशक होता है।

Tuesday, June 3, 2014

क्यों होती है पीपल वृक्ष की पूजा



धर्मशास्त्रों में पीपल वृक्ष को भगवान विष्णु का निवास माना जाता है। स्कंध पुराण के अनुसार पीपल​ की जड़ में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फल में सभी देवताओं से युक्त भगवान अच्युत का निवास है। श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार अर्जुन को उपदेश देते हुए स्वयं भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन​। गीता के दसवें अध्याय के २६ श्लोक में .. अश्वत्थ​: सर्ववृक्षाणां  वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूँ। ज्ञानी और भक्तजन इसी कारण पीपल के वृक्ष की सेवा करके सहस्रों पुण्यों का फल अर्जित करते हैं। यही इस वृक्ष की धार्मिक पवित्रता का मुख्य कारण है। 

पद्मपुराण के  अनुसार पीपलवृक्ष की  परिक्रमा करके प्रणाम करने से आयु में वृद्धि होती है। पीपल के वृक्ष को जल से सिंचित करने वाले प्राणी को सहज ही स्वर्ग की प्राप्ती हो जाती है।

पीपल में पितरों का वास भी माना गया है। पीपल में सभी तीर्थों का निवास माना गया है इसिलिए मुंडन आदि संस्कार भी पीपल के नीचे करवाने का प्रचलन है।


शनि की साढे साती में पीपल के पूजन और परिक्रमा का विधान बताया गया है। रात में पीपल की पूजा को निषिद्ध माना गया है। क्योंकि ऎसा माना जाता है कि रात्री में पीपल पर दरिद्रता बसती है और सूर्योदय के बाद पीपल पर लक्ष्मी का वास माना गया है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी पीपल का महत्तव है। पीपल ही एकमात्र ऎसा वृक्ष है जो रात-दिन ऑक्सीजन देता है।