Tuesday, June 3, 2014

क्यों होती है पीपल वृक्ष की पूजा



धर्मशास्त्रों में पीपल वृक्ष को भगवान विष्णु का निवास माना जाता है। स्कंध पुराण के अनुसार पीपल​ की जड़ में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फल में सभी देवताओं से युक्त भगवान अच्युत का निवास है। श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार अर्जुन को उपदेश देते हुए स्वयं भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन​। गीता के दसवें अध्याय के २६ श्लोक में .. अश्वत्थ​: सर्ववृक्षाणां  वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूँ। ज्ञानी और भक्तजन इसी कारण पीपल के वृक्ष की सेवा करके सहस्रों पुण्यों का फल अर्जित करते हैं। यही इस वृक्ष की धार्मिक पवित्रता का मुख्य कारण है। 

पद्मपुराण के  अनुसार पीपलवृक्ष की  परिक्रमा करके प्रणाम करने से आयु में वृद्धि होती है। पीपल के वृक्ष को जल से सिंचित करने वाले प्राणी को सहज ही स्वर्ग की प्राप्ती हो जाती है।

पीपल में पितरों का वास भी माना गया है। पीपल में सभी तीर्थों का निवास माना गया है इसिलिए मुंडन आदि संस्कार भी पीपल के नीचे करवाने का प्रचलन है।


शनि की साढे साती में पीपल के पूजन और परिक्रमा का विधान बताया गया है। रात में पीपल की पूजा को निषिद्ध माना गया है। क्योंकि ऎसा माना जाता है कि रात्री में पीपल पर दरिद्रता बसती है और सूर्योदय के बाद पीपल पर लक्ष्मी का वास माना गया है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी पीपल का महत्तव है। पीपल ही एकमात्र ऎसा वृक्ष है जो रात-दिन ऑक्सीजन देता है।

1 comment:

आचार्य राकेश तिवारी said...

क्यों होती है पीपल वृक्ष की पूजा