Thursday, November 9, 2017

पंचमुखी हनुमान

हनुमान जी के पाँच मुख का अभिप्राय एवं पाँचों मुखों की भक्ति से होनेवाले लाभ ।।

मित्रों, कलियुग में पवनपुत्र हनुमान, मां भगवती और बाबा भोलेनाथ की पूजा-आराधना का विशेष एवं तत्काल फल प्राप्ति होना बताया गया है । भगवान शिव के अवतार हनुमान जी ऊर्जा के प्रतीक माने गये हैं । उनकी आराधना से बल, कीर्ति, आरोग्य और निर्भीकता प्राप्त होती है ।।

इनका विराट स्वरूप पाँच मुख पाँच दिशाओं में हैं । इनका सभी रूप एक-एक मुख वाला, त्रिनेत्रधारी और दो भुजाओं वाला है । यह पाँच मुख क्रमशः नरसिंह, अश्व, गरुड, वानर और वराह रूप का है । इनके पांच मुख पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और उर्ध्व दिशा में प्रतिष्ठित माने जाते हैं ।।

पूर्व की ओर का मुख वानर का हैं, जिसकी आभा करोडों सूर्यों के तेज के समान हैं । इनका पूजन करने से समस्त शत्रुओं का नाश हो जाता है । पश्चिम दिशा वाला मुख गरुड का हैं, जो भक्तिप्रद, संकट निवारक माना गया हैं । गरुड की तरह इनको भी अजर-अमर माना गया हैं । उत्तर की ओर का मुख शूकर का है, इनकी आराधना करने से अपार धन-सम्पत्ति, ऐश्वर्य, यश, दिर्धायु प्रदान करने वाला एवं उत्तम स्वास्थ्य देने में समर्थ माना गया हैं ।।

दक्षिणमुखी स्वरूप भगवान नृसिंह का है, जो भक्तों के भय, चिंता, परेशानी को दूर करता हैं । श्री हनुमान का उर्ध्व मुख घोडे के समान हैं, इनका यह स्वरुप ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर प्रकट हुआ था । मान्यता यह है कि हयग्रीवदैत्य का संहार करने के लिए वे अवतरित हुए थे । ऐसे पंचमुखी हनुमान रुद्र कहलाने वाले बडे कृपालु और दयालु माने गये हैं ।।

पंचमुखी हनुमान जी के स्वरुप के विषय में एक पौराणिक कथा मिलती है । एक बार पाँच मुख वाला एक भयानक राक्षस प्रकट हुआ । उसने तपस्या करके ब्रह्माजी से वरदान माँगा कि मेरे रूप जैसा ही कोई व्यक्ति मुझे मार सके । ऐसा वरदान प्राप्त करके वह समग्र लोक में भयंकर उत्पात मचाने लगा । सभी देवताओं ने भगवान से इस कष्ट से छुटकारा मिलने की प्रार्थना की । तब प्रभु की आज्ञा पाकर हनुमानजी ने वानर, नरसिंह, अश्व, गरुड और शूकर का पंचमुख स्वरूप धारण किया ।।

पंचमुखी हनुमान की पूजा-अर्चना से सभी देवताओं की उपासना के बराबर फल मिलता है । हनुमान जी के पाँचों मुखों में तीन-तीन सुंदर आंखें आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक तीनों प्रकार के तापों से छुटकारा दिलाने वाली हैं । श्री हनुमानजी का ये स्वरुप हम मनुष्यों के समस्त विकारों को दूर करने वाले माने गये हैं ।।

हम सभी भक्तों को शत्रुओं का नाश करने वाले तथा सभी मनोकामना को पूर्ण करनेवाले श्रीहनुमान जी महाराज का हमेशा स्मरण करना चाहिए । पंचमुखी हनुमान जी की उपासना से पूर्व में किए गए सभी बुरे कर्म एवं चिंतन के दोषों से मुक्ति मिलती हैं । पांच मुख वाले हनुमान जी की प्रतिमा धार्मिक और तंत्र शास्त्रों में भी अद्भुत चमत्कारिक मानी गई है । अत: इनकी उपासना हर प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करनेवाला है ।।

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