1.- जिस शालिग्राम-शिला में द्वार–स्थान पर परस्पर सटे हुए दो चक्र हों, जो शुक्ल वर्ण की रेखा से अंकित और शोभा सम्पन्न दिखायी देती हों, उसे भगवान् “श्रीगदाधर का स्वरूप” समझना चाहिये।
2.- “संकर्षण मूर्ति” में दो सटे हुए चक्र होते हैं, लाल रेखा होती है और उसका पूर्वभाग कुछ मोटा होता है।
3.- “प्रद्युम्न” के स्वरूप में कुछ–कुछ पीलापन होता है और उसमें चक्र का चिह्न सूक्ष्म रहता है।
4. – “अनिरुद्ध की मूर्ति” गोल होती है और उसके भीतरी भाग में गहरा एवं चौड़ा छेद होता है; इसके सिवा, वह द्वार भाग में नीलवर्ण और तीन रेखाओं से युक्त भी होती है।
5. – “भगवान् नारायण” श्याम वर्ण के होते हैं, उनके मध्य भाग में गदा के आकार की रेखा होती है और उनका नाभि–कमल बहुत ऊँचा होता है.
6. – “भगवान् नृसिंह” की मूर्ति में चक्र का स्थूल चिह्न रहता है, उनका वर्ण कपिल होता है तथा वे तीन या पाँच बिन्दुओं से युक्त होते हैं. ब्रह्मचारी के लिये उन्हीं का पूजन विहित है. वे भक्तों की रक्षा करनेवाले हैं।
7. – जिस शालिग्राम–शिला में दो चक्र के चिह्न विषम भाव से स्थित हों, तीन लिंग हों तथा तीन रेखाएँ दिखायी देती हों, वह “वाराह भगवान् का स्वरूप” है, उसका वर्ण नील तथा आकार स्थूल होता है।
8.- “कच्छप” की मूर्ति श्याम वर्ण की होती है. उसका आकार पानी के भँवर के समान गोल होता है. उसमें यत्र–तत्र बिन्दुओं के चिह्न देखे जाते हैं तथा उसका पृष्ठ-भाग श्वेत रंग का होता है।
9. – “श्रीधर की मूर्ति” में पाँच रेखाएँ होती हैं।
10.- “वनमाली के स्वरूप” में गदा का चिह्न होता है।
11. – गोल आकृति, मध्यभाग में चक्र का चिह्न तथा नीलवर्ण, यह “वामन मूर्ति” की पहचान है।
12.- जिसमें नाना प्रकार की अनेकों मूर्तियों तथा सर्प शरीर के चिह्न होते हैं, वह भगवान् “अनन्त की” प्रतिमा है.
13. – “दामोदर” की मूर्ति स्थूलकाय एवं नीलवर्ण की होती है।उसके मध्य भाग में चक्र का चिह्न होता है, भगवान् दामोदर नील चिह्न से युक्त होकर संकर्षण के द्वारा जगत् की रक्षा करते हैं।
14. –जिसका वर्ण लाल है, तथा जो लम्बी–लम्बी रेखा, छिद्र, एक चक्र और कमल आदि से युक्त एवं स्थूल है, उस शालिग्राम को“ब्रह्मा की मूर्ति” समझनी चाहिये।
15. – जिसमें बृहत छिद्र, स्थूल चक्र का चिह्न और कृष्ण वर्ण हो, वह “श्रीकृष्ण का स्वरूप” है. वह बिन्दुयुक्त और बिन्दुशून्य दोनों ही प्रकार का देखा जाता है।
16. – “हयग्रीव मूर्ति” अंकुश के समान आकार वाली और पाँच रेखाओं से युक्त होती है।
17. – “भगवान् वैकुण्ठ” कौस्तुभमणि धारण किये रहते हैं. उनकी मूर्ति बड़ी निर्मल दिखायी देती है. वह एक चक्र से चिह्नित और श्याम वर्ण की होती है।
18. – “मत्स्य भगवान्” की मूर्ति बृहत कमल के आकार की होती है. उसका रंग श्वेत होता है तथा उसमें हार की रेखा देखी जाती है।
19.- जिस शालिग्राम का वर्ण श्याम हो, जिसके दक्षिण भाग में एक रेखा दिखायी देती हो तथा जो तीन चक्रों के चिह्न से युक्त हो, वह भगवान् “श्रीरामचन्द्र जी” का स्वरूप है, वे भगवान् सबकी रक्षा करनेवाले हैं।
20. – द्वारिकापुरी में स्थित शालिग्राम स्वरूप “भगवान् गदाधर”को नमस्कार है, उनका दर्शन बड़ा ही उत्तम है, भगवान् गदाधर एक चक्र से चिह्नित देखे जाते हैं।
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