Saturday, March 12, 2016

"हवन यज्ञ" -2

31. कोटि होम:-
शतमुख, दशमुख, द्विमुख और एक मुख भेद से चार प्रकार का कोटि होम होता है। शतमुख में अथवा 100 कुण्डों के यज्ञ में प्रत्येक कुण्ड पर 10-10 विद्वान हवनकत्र्ता बैठते है। इस प्रकार 100 कुण्डों के हवन में एक हजार (1000) विद्वान होते है। दशमुख अर्थात 100 कुण्डों के यज्ञ में प्रत्येक कुण्ड में 20-20 होता (हवनकर्ता) बैठते है। इस प्रकार 10 कुण्डों के यज्ञ में 200 विद्वान हवनकर्ता बैठने चाहिए। दमुख अर्थात दो कुण्डों के यज्ञ में 50-50 होता बैठते है। इस प्रकार से हवन में 100 विद्वान हवनकर्ता होने चाहिए। एक मुख में अर्थात एक कुण्ड के यज्ञ में हवनकर्ता की संख्या का कोई खास नियम नहीं सामथ्र्य के अनुसार जितने भी विद्वान हवनार्थ बैठाना चाहे बैठा सकता हैं सौ कुण्डों का कोटि होम बहुत बडा महायज्ञ कहा जाता है। कोटि यज्ञ में सामग्री 200 मन लगती है।
32. गायत्री यज्ञ:-
गायत्री महायज्ञ में चैबीस लाख (2400000) आहुतियां होती हैं चैबीस लाख आहुतियों के गायत्री महायज्ञ में 55 मन अथवा 60 मन हवन सामग्री लगती हैं इस यज्ञ में 61 अथवा 71 विद्वान होते है। यह महायज्ञ 9 अथवा 11 दिन में होता हैै। गायत्री महायज्ञ में 1,5,9 अथवा 24 कुण्ड होते है।
33. शतचण्डी:-
शतचण्डी 5 दिन में अथवा 9 दिन में होती हैं पांच अथवा नव दिन की शतचण्डी में दुर्गा पाठ कराने के लिए 13 विद्वान होते है। शत चण्डी में हवन सामग्री सवा मन (50 किलों) लगती है। शत चण्डी
सर्वदा की जा सकती है।

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